भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 32
(वह कार्य जिसको करने के लिए कोई व्यक्ति धमकियों द्वारा विवश किया गया है)
हत्त्या और मृत्यु से दंडनीय उन अपराधो को, जो राज्य के विरुद्ध है, छोड़कर कोई बात अपराध नही है, जो ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाए, जो उसे करने के लिए ऐसी धमकियों से विवश किया गया हो जिनसे उस बात को करते समय उसको युक्तियुक्त रूप से यह आशंका कारित हो गई हो कि अन्यथा परिणाम यह होगा कि उस व्यक्ति की तत्काल मृत्यु हो जाए।
परंतु यह तब जब कि उस कार्य को करने वाले व्यक्ति ने अपनी इच्छा से या तत्काल मृत्यु से कम अपनी अपहानि की युक्तियुक्त आशंका से अपने को उस स्थिति में न डाला हो जिससे कि वह ऐसी मजबूरी के अधीन पड़ गया है।
व्याख्या-1. वह व्यक्ति, जो स्वयं अपनी इच्छा से, या पीटे जाने की धमकी के कारण डाकुओं की टोली में उनके शील को जानते हुए सम्मिलित हो जाता है इस आधार पर ही इस अपवाद का फायदा उठाने का हकदार नही की वह अपने साथियों द्वारा ऐसी बात करने के लिए विवश किया गया था जो विधिना अपराध है।
व्याख्या-2. डाकुओं की एक टोली द्वारा अभिगृहित और तत्काल मृत्यु की धमकी द्वारा किसी बात के करने के लिए, जो विधिना अपराध है, विवश किया गया व्यक्ति, उदाहरणार्थ, एक लोहार, जो अपने औजार लेकर एक ग्रह का द्वार तोड़ने को विवश किया जाता हैं, जिससे डाकू उसमे प्रवेश कर सके और उसे लूट सके, इस अपवाद का फायदा उठाने के लिए हक़दार है।
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(IPC) की धारा 94 को (BNS) की धारा 32 में बदल दिया गया है। |