भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा - 52
(दुष्प्रेरक कब दुष्प्रेरित कार्य के लिए और किए गए कार्य के लिए आकलित दण्ड से दण्डनीय है)
यदि वह कार्य, जिसके लिए दुष्प्रेरक धारा 51 के अनुसार दायित्व के अधीन है, दुष्प्रेरित कार्य के अतिरिक्त किया जाता है और वह कोई सुभिन्न अपराध गठित करता है, तो दुष्प्रेरक उन अपराधों में से प्रत्येक एक के लिए दण्डनीय है।
उदाहरण- श्याम को एक लोक सेवक द्वारा किए गए करस्थम् का बलपूर्वक प्रतिरोध करने के लिए राम उकसाता है। श्याम परिणामस्वरूप उस करस्थम् का प्रतिरोध करता है। प्रतिरोध करने में श्याम करस्थम् का निष्पादन करने वाले अधिकारी को स्वेच्छया घोर उपहति कारित करता है। श्याम ने करस्थम् का प्रतिरोध करने और स्वेच्छया घोर उपहति कारित करने के दो अपराध किए हैं। इसलिए श्याम दोनों अपराधों के लिए दण्डनीय है, और यदि राम यह सम्भाव्य जानता था कि उस करस्थम् का प्रतिरोध करने में श्याम स्वेच्छया घोर उपहति कारित करेगा, तो राम भी उनमें से प्रत्येक एक अपराध के लिए दण्डनीय होगा।
अपराध का वर्गीकरण
सजा : वही जो दुष्प्रेरित अपराध के लिए है
संज्ञान: संज्ञेय है या असंज्ञेय उस न्यायालय द्वारा द्वारा विचारणीय है
जमानत: जमानतीय है या अजमानतीय उस न्यायालय द्वारा द्वारा विचारणीय है
विचारणीय: उस न्यायालय द्वारा विचारणीय है जिसके द्वारा दुष्प्रेरित अपराध विचारणीय है -
अशमनीय: समझौता करने योग्य नहीं
(IPC) की धारा 112 को (BNS) की धारा 52 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते हैं। |