भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा- 106
(उपेक्षा द्वारा मृत्यु कारित करना)
(1):- जो कोई उतावलेपन से या उपेक्षापूर्ण किसी ऐसे कार्य से किसी व्यक्ति की मृत्यु कारित करेगा, जो आपराधिक मानव वध की कोटि में नहीं आता, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी दण्डित किया जाएगा और जुर्माने के लिए भी दायी होगा; और यदि ऐसे कृत्य किसी रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी द्वारा, जब वह चिकित्सीय प्रक्रिया संपादित कर रहा हो, कारित किया जाता है तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने के लिए भी दायी होगा।
उदाहरण:- इस उपधारा के प्रयोजन के लिए, "रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी" से ऐसा चिकित्सा अभिप्रेत है जिसके पास राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग अधिनियम, 2019 (2019 का 30) के अधीन मान्यताप्राप्त कोई चिकित्सा अर्हता है तथा जिसका नाम उस अधिनियम के अधीन राष्ट्रीय चिकित्सा रजिस्टर या किसी राज्य चिकित्सा रजिस्टर में प्रविष्ट किया गया है।
(2):- जो कोई, उतावलेपन या उपेक्षापूर्ण चालन से, किसी व्यक्ति की मृत्यु कारित करेगा, जो आपराधिक मानव वध की कोटि में नही आता हैं और घटना के तत्काल पश्चात इसे पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट किए बिना, निकलकर भागेगा, किसी भी भांति के ऐसी अवधि के, कारावास से जो दस वर्ष तक का हो सकेगा, दंडित किया जाएगा और जुर्माने के लिए भी दायी होगा।
अपराध का वर्गीकरण
उपधारा (1):-भाग:-1 सजा:- 5 वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना
अपराध:- संज्ञेय
जमानत:- जमानतीय
विचारणीय:- प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- समझौता करने योग्य नहीं
उपधारा (1):-भाग:-2 सजा:- 2 वर्ष का कारावास और जुर्माना
अपराध:- संज्ञेय
जमानत:- जमानतीय
विचारणीय:- प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- समझौता करने योग्य नहीं
उपधारा (2):- सजा:- 10 वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना
अपराध:- संज्ञेय
जमानत:- अजमानतीय
विचारणीय:- प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- समझौता करने योग्य नहीं