भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा:- 124
(अम्ल, आदि का प्रयोग करके स्वेच्छ्या घोर उपहति कारित करना)
(1) जो कोई किसी व्यक्ति के शरीर के किसी भाग या किन्हीं भागों को उस व्यक्ति पर अम्ल फेंककर या उसे अम्ल देकर या किन्हीं अन्य साधनों का प्रयोग करके, ऐसा कारित करने के आशय या ज्ञान से कि सम्भाव्य है उनसे ऐसी क्षति या उपहति कारित हो, स्थायी या आंशिक नुकसान कारित करेगा या अंगविकार करेगा या जलाएगा या विकलांग बनाएगा या विद्रूपित करेगा या निःशक्त बनाएगा या घोर उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा :
परन्तु ऐसा जुर्माना पीड़ित के उपचार के चिकित्सीय खर्चों को पूरा करने के लिए न्यायोचित और युक्तियुक्त होगा :
परन्तु यह और कि इस उपधारा के अधीन अधिरोपित कोई जुर्माना पीड़ित को संदत्त किया जाएगा।
(2) जो कोई, किसी व्यक्ति को स्थायी या आंशिक नुकसान कारित करने या उसका अंगविकार करने या जलाने या विकलांग बनाने या विद्रूपित करने या निःशक्त बनाने या घोर उपहति कारित करने के आशय से उस व्यक्ति पर अम्ल फेंकेगा या फेंकने का प्रयत्न करेगा या किसी व्यक्ति को अम्ल देगा या अम्ल देने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा।
व्याख्या:- (1) - इस धारा के प्रयोजनों के लिए "अम्ल" में कोई ऐसा पदार्थ सम्मिलित है जो ऐसे अम्लीय या संक्षारक स्वरूप या ज्वलन प्रकृति का है, जो ऐसी शारीरिक क्षति करने योग्य है, जिससे क्षतचिह्न बन जाते हैं या विद्रूपता या अस्थायी या स्थायी दिव्यांगता हो जाती है।
व्याख्या:- (2) - इस धारा के प्रयोजनों के लिए स्थायी या आंशिक नुकसान या अंगविकार या स्थायी विकृतशील दशा का अपरिवर्तनीय होना आवश्यक नहीं होगा।
अपराध का वर्गीकरण
उपधारा (1):- सजा:- कम से कम 10 वर्ष के लिए कारावास, किंतु जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा और जुर्माना
अपराध:- संज्ञेय
जमानत:- अजमानतीय
विचारणीय:- सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नहीं किया जा सकता.
उपधारा (2):- सजा:- 5 वर्ष के लिए कारावास, किंतु जो 7 वर्ष तक का हो सकेगा और जुर्माना
अपराध:- संज्ञेय
जमानत:- अजमानतीय
विचारणीय:- सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नहीं किया जा सकता.