भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा:- 143
(व्यक्ति का दुर्व्यापार)
(1) जो कोई, शोषण के प्रयोजन के लिए, -
(क) धमकियों का प्रयोग करके; या
(ख) बल, या किसी भी अन्य प्रकार के प्रपीड़न का प्रयोग करके; या
(ग) अपहरण द्वारा; या
(घ) कपट का प्रयोग करके या प्रवंचना द्वारा; या
(ङ) शक्ति का दुरुपयोग करके; या
(च) उत्प्रेरणा द्वारा, जिसके अन्तर्गत ऐसे किसी व्यक्ति की, जो भर्ती किए गए, परिवहनित, संश्रित, स्थानांतरित या गृहीत व्यक्ति पर नियंत्रण रखता है, सम्मति प्राप्त करने के लिए भुगतान या फायदे देना या प्राप्त करना भी आता है,
किसी व्यक्ति या किन्ही व्यक्तियों को भर्ती करता है, परिवहनित करता है, संश्रय देता है, स्थानांतरित करता है, या गृहीत करता है, वह दुर्व्यापार का अपराध करता है।
व्याख्या:-1 "शोषण" पद के अन्तर्गत शारीरिक शोषण का कोई कृत्य या किसी प्रकार का लैंगिक शोषण, दासता या दासता, अधिसेविता के समान व्यवहार, भिक्षावृत्ति या अंगों का बलात् अपसारण भी है।
व्याख्या:-2 दुर्व्यापार के अपराध के अवधारण में पीड़ित की सम्मति महत्वहीन है।
(2) जो कोई दुर्व्यापार का अपराध करेगा वह कठिन कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा।
(3) जहां अपराध में एक से अधिक व्यक्तियों का दुर्व्यापार अन्तर्वलित है, वहां वह कठिन कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम की नहीं होगी, किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, दण्डित किया जायेगा और जुर्माने का भी दायी होगा।
(4) जहां अपराध में किसी बालक का दुर्व्यापार अन्तर्वलित है, वहां वह कठिन कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम की नहीं होगी, किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, दण्डित किया जायेगा और जुर्माने का भी दायी होगा।
(5) जहां अपराध में एक से अधिक बालक का दुर्व्यापार अन्तर्वलित है, वहां वह कठिन कारावास से, जिसकी अवधि चौदह वर्ष से कम की नहीं होगी, किन्तु जो आजीवन कारावास तक को हो सकेगी, दण्डित होगा और जुर्माने का भी दायी होगा।
(6) यदि किसी व्यक्ति को किसी बालक का एक से अधिक अवसरों पर दुर्व्यापार किए जाने के अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराया जाता है तो ऐसा व्यक्ति आजीवन कारावास से, जिससे उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा।
(7) जहां कोई लोक सेवक या कोई पुलिस अधिकारी, किसी व्यक्ति के दुर्व्यापार में अन्तर्वलित है, वहां ऐसा लोक सेवक या पुलिस अधिकारी आजीवन कारावास से, जिसमे उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा, दण्डित किया जाएगा और जुमान का भी दायी होगा।
अपराध का वर्गीकरण
उपधारा (2) सजा:- कम से कम 7 वर्ष के लिए कठोर कारावास, किन्तु जो 10 वर्ष तक का हो सकेगा और जुर्माना
अपराध:- संज्ञेय
जमानत:- अजमानतीय
विचारणीय:- सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नही किया जा सकता.
उपधारा (3) सजा:- कम से कम 10 वर्ष के लिए कारावास, किंतु जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा और जुर्माना
अपराध:- संज्ञेय
जमानत:- अजमानतीय
विचारणीय:- सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नही किया जा सकता.
उपधारा (4) सजा:- कम से कम 10 वर्ष के लिए कारावास, किंतु जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा और जुर्माना
अपराध:- संज्ञेय
जमानत:- अजमानतीय
विचारणीय:- सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नही किया जा सकता.
उपधारा (5) सजा:- कम से कम 14 वर्ष के लिए कारावास, किंतु जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा और जुर्माना
अपराध:- संज्ञेय
जमानत:- अजमानतीय
विचारणीय:- सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नही किया जा सकता.
उपधारा (6) सजा:- आजीवन कारावास, जिससे उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल का कारावास अभिप्रेत होगा और जुर्माना
अपराध:- संज्ञेय
जमानत:- अजमानतीय
विचारणीय:- सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नही किया जा सकता.
उपधारा (7) सजा:- आजीवन कारावास, जिससे उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल का कारावास अभिप्रेत होगा और जुर्माना
अपराध:- संज्ञेय
जमानत:- अजमानतीय
विचारणीय:- सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नही किया जा सकता.