भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा:- 182
(करेंसी नोटों या बैंक नोटों के सदृश रखने वाले दस्तावेजों की रचना या उपयोग)
(1) जो कोई किसी दस्तावेज को, जो करेंसी नोट या बैंक नोट होना तात्पर्यित हो या करेंसी नोट या बैंक नोट के किसी भी प्रकार सदृश्य हो या इतने निकटतः सदृश हो कि प्रवंचना हो जाना प्रकल्पित हो, रचेगा या रचवाएगा या किसी भी प्रयोजन के लिए उपयोग में लाएगा या किसी व्यक्ति को परिदत्त करेगा, वह जुर्माने से, जो तीन सौ रुपए तक का हो सकेगा, दंडित किया जाएगा।
(2) यदि कोई व्यक्ति जिसका नाम ऐसे दस्तावेज पर हो, जिसकी रचना उपधारा (1) के अधीन अपराध है, किसी पुलिस अधिकारी को उस व्यक्ति का नाम और पता, जिसके द्वारा वह मुद्रित की गई थी या अन्यथा रची गई थी, बताने के लिए अपेक्षित किए जाने पर उसे विधिपूर्ण प्रतिहेतु के बिना बताने से इनकार करेगा, वह जुर्माने से, जो छह सौ रुपए तक का हो सकेगा, दंडित
(3) जहां किसी ऐसे दस्तावेज पर, जिसके बारे में किसी व्यक्ति पर उपधारा (1) के अधीन अपराध का आरोप लगाया गया हो या किसी अन्य दस्तावेज पर, जो उस दस्तावेज के संबंध में उपयोग में लाया गया हो या वितरित किया गयो हो, किसी व्यक्ति का नाम हो, वहां जब तक तत्प्रतिकूल साबित नही कर दिया जाए, यह उपधारणा की जा सकेगी कि उस व्यक्ति ने दस्तावेज रचवाया है।
अपराध का वर्गीकरण
उपधारा (1) सजा:- 300 रुपए का जुर्माना
अपराध:- संज्ञेय
जमानत:- जमानतीय
विचारणीय:- कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नही किया जा सकता हैं।
उपधारा (2) सजा:- 600 रुपए का जुर्माना
अपराध:- संज्ञेय
जमानत:- जमानतीय
विचारणीय:- कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नही किया जा सकता हैं।
(IPC) की धारा 489E को (BNS) की धारा 182 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते है |