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धारा - 42 (ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का कब होता है)

धारा - 42 (ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का कब होता है)
काल्पनिक चित्र

भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा - 42

(ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का कब होता है)

यदि वह अपराध, जिसके किए जाने या किए जाने के प्रयत्न से प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग का अवसर आता है, ऐसी चोरी, रिष्टि या आपराधिक अतिचार है, जो धारा 41 में विनिर्दिष्ट विवरणों में से किसी प्रकार का नहीं है, तो उस अधिकार का विस्तार स्वेच्छया मृत्यु कारित करने तक का नहीं होता, किन्तु उसका विस्तार धारा 37 में विनिर्दिष्ट निर्बन्धनों के अधीन रहते हुए, दोषकर्ता की मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि स्वेच्छ्या कारित करने तक का होता है।





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