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धारा - 45 (किसी बात का दुष्प्रेरण)

धारा - 45 (किसी बात का दुष्प्रेरण)
काल्पनिक चित्र 

भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा - 45

 (किसी बात का दुष्प्रेरण)

 वह व्यक्ति, किसी बात के किए जाने का दुष्प्रेरण करता है, जो-

 (क) उस बात को करने के लिए किसी व्यक्ति को उकसाता है;

 या

(ख) उस बात को करने के लिए किसी पड्यंत्र में एक या अधिक अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों के साथ सम्मिलित होता है, यदि उस षड्यंत्र के अनुसरण में, और उस बात को करने के उद्देश्य से, कोई कार्य या अवैध लोप घटित हो जाए; 
या

(ग) उस बात को किए जाने में किसी कार्य या अवैध लोप द्वारा जानबूझकर सहायता करता है।

व्याख्या-1. कोई व्यक्ति जो जानबूझकर मिथ्या निरूपण द्वारा, या किसी तात्विक तथ्य, जिसे प्रकट करने के लिए वह आबद्ध है, जानबूझकर छिपाने द्वारा, स्वेच्छया किसी बात का किया जाना कारित या उपाप्त करता है या कारित या उपाप्त करने का प्रयत्न करता है, यह कहा जाता है कि वह उस कृत्य का किया जाना उकसाता है।

उदाहरण- दिनेश, एक लोक अधिकारी हैं, न्यायालय के वारण्ट द्वारा राम को पकड़ने के लिए प्राधिकृत है। राजेश उस तथ्य को जानते हुए और यह भी जानते हुए कि श्याम, राम, नहीं है, दिनेश को जानबूझकर यह निरूपित करता है कि श्याम, राम है और उसके द्वारा जानबूझकर दिनेश से श्याम को पकड़वाता है। यहाँ राजेश, श्याम के पकड़े जाने का उकसाने द्वारा दुष्प्रेरण करता है।

व्याख्या- 2. जो कोई या तो किसी कार्य को किए जाने से पूर्व या किए जाने के समय, उस कार्य के किए जाने को सुकर बनाने के लिए कोई बात करता है और उसके द्वारा उसके किए जाने को सुकर बनाता है, या उस कार्य को करने में सहायता करता है, यह कहा जाता है।










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