भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा - 46
(दुष्प्रेरक)
वह व्यक्ति अपराध का दुष्प्रेरण करता है, जो या तो अपराध कारित करने का या ऐसे कृत्य को कारित करने का, जो अपराध होता, यदि वह उसी आशय या ज्ञान से किया जाता, जो दुष्प्रेरक का है, यदि अपराध कारित करने के लिए विधि द्वारा समर्थ व्यक्ति द्वारा किया जाता है।
व्याख्या- 1.किसी कार्य के अवैध लोप का दुष्प्रेरण अपराध की कोटि में आ सकेगा. चाहे दुष्प्रेरक उस कार्य को करने के लिए स्वयं आबद्ध न हो।
व्याख्या- 2. दुष्प्रेरण का अपराध गठित होने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि दुष्प्रेरित कार्य किया जाए या अपराध गठित करने के लिए अपेक्षित प्रभाव कारित हो।
उदाहरण- (क). दिनेश की हत्या करने के लिए राम को राजेश उकसाता है। राम वैसा करने से इन्कार कर देता है। राजेश हत्या करने के लिए राम के दुष्प्रेरण का दोषी है।
(ख). प्रदीप की हत्या करने के लिए राजू को राम उकसाता है। राजू ऐसी उकसाहट के अनुसरण में प्रदीप को विद्ध करता है। प्रदीप का घाव अच्छा हो जाता है। राम हत्या करने के लिए राजू को उकसाने का दोषी है।
व्याख्या- 3. यह आवश्यक नहीं है कि दुष्प्रेरित व्यक्ति अपराध करने के लिए विधि- अनुसार समर्थ हो. या उसका वही दूषित आशय या ज्ञान हो. जो दुष्प्रेरक का है. या कोई भी दूषित आशय या ज्ञान हो।
उदाहरण- (क). प्रदीप दूषित आशय से एक बालक या विकृत चित व्यक्ति को वह कार्य करने के लिए दुष्प्रेरित करता है. जो यदि वह ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाए जो कोई अपराध करने के लिए विधि- अनुसार समर्थ है और वही आशय रखता है जो कि प्रदीप का है. तो अपराध होगा। इस प्रकार, वह कार्य किया जाए या न किया जाए प्रदीप अपराध के दुष्प्रेरण का दोषी है।
(ख). सोहन को हत्या करने के आशय से श्याम को, जो सात वर्ष से कम आयु का बालक है, वह कार्य करने के लिए रामू उकसाता है जिससे सोहन की मृत्यु कारित हो जाती है। श्याम दुष्प्रेरित के परिणामस्वरूप वह कार्य रामू की अनुपस्थिति में करता है और उससे सोहन की मृत्यु कारित करता है। यहां यद्यपि श्याम वह अपराध करने के लिए विधि-अनुसार समर्थ नहीं था. तथापि रामू उसी प्रकार से दण्डनीय है, मानो श्याम वह अपराध करने के लिए विधि-अनुसार समर्थ हो और उसने हत्या की हो, और इसलिए रामू मृत्यु दण्ड से दण्डनीय है।
(ग). मोनू को एक निवासगृह में आग लगाने के लिए सोनू उकसाता है। मोनू चित्त-विकृति के परिणामस्वरूप उस कार्य की प्रकृति या यह कि वह जो कुछ कर रहा है वह दोषपूर्ण या विधि के प्रतिकूल है जानने में असमर्थ होने के कारण सोनू के उकसाने के परिणामस्वरूप उस गृह में आग लगा देता है। मोनू ने कोई अपराध नहीं किया है, किन्तु सोनू एक निवासगृह में आग लगाने के अपराध के दुष्प्रेरण का दोषी है. और उस अपराध के लिए उपबन्धित दण्ड से दण्डनीय है।
(घ). राज चोरी कराने के आशय से दिनेश के कब्जे में से दिनेश की संपत्ति लेने के लिए मोहन को उकसाता है। मोहन को यह विश्वास करने के लिए राज उत्प्रेरित करता है कि वह संपत्ति राज की है। मोहन उस संपति को इस विश्वास से कि वह राज की संपत्ति है दिनेश के कब्जे में से सद्भावपूर्वक ले लेता है। मोहन इस भ्रम के अधीन कार्य करते हुए, उसे बेईमानी से नहीं लेता, और इसलिए चोरी नहीं करता, किन्तु राज चोरी के दुष्प्रेरण का दोषी है, और दण्ड से दण्डनीय है मानो राज ने चोरी की हो।
व्याख्या- 4. अपराध का दुष्प्रेरण अपराध होने के कारण ऐसे दुष्प्रेरण का दुष्प्रेरण भी अपराध है।
उदाहरण- राजू को दीपू की हत्या करने को उकसाने के लिए मोनिस को सरफराज उकसाता है। मोनिस तदनुकूल दीपू की हत्या करने के लिए राजू को उकसाता है और मोनिस के उकसाने के परिणामस्वरूप राजू उस अपराध को करता है। मोनिस अपने अपराध के लिए हत्या के दण्ड से दण्डनीय है, और सरफराज ने उस अपराध को करने के लिए मोनिस को उकसाया, इसलिए सरफराज भी उसी दण्ड से दण्डनीय है।
व्याख्या- 5. षड्यंत्र द्वारा दुष्प्रेरण का अपराध करने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि दुष्प्रेरक उस अपराध को करने वाले व्यक्ति के साथ मिलकर उस अपराध की योजना बनाए। यह पर्याप्त है कि उस षड्यंत्र में सम्मिलित हो जिसके अनुसरण में वह अपराध किया जाता है।
उदाहरण- राकेश को विष देने के लिए दिनेश एक योजना राजेश से मिलकर बनाता है। यह सहमति हो जाती है कि दिनेश विष देगा। राजेश तब यह वर्णित करते हुए राजू को वह योजना समझा देता है कि कोई तीसरा व्यक्ति विष देगा, किन्तु दिनेश का नाम नहीं लेता। राजू विष उपाप्त करने के लिए सहमत हो जाता है, और उसे उपाप्त करके समझाए गए प्रकार से प्रयोग में लाने के लिए राजेश को परिदत्त करता है। दिनेश विष देता है, परिणामस्वरूप राकेश की मृत्यु हो जाती है। यहां यद्यपि दिनेश और राजू ने मिलकर षड्यंत्र नहीं रचा है, तो भी राजू उस षड्यंत्र में सम्मिलित रहा है, जिसके अनुसरण में राकेश की हत्या की गई है। इसलिए राजू ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है और हत्या के लिए दण्ड से दण्डनीय है।