भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा:- 261
(लोक सेवक द्वारा उपेक्षा से परिरोध या अभिरक्षा में से निकल भागना सहन करना)
जो कोई ऐसा लोक सेवक होते हुए, जो अपराध के लिए आरोपित या दोषसिद्ध या अभिरक्षा में रखे जाने के लिए विधिपूर्वक सुपुर्द किए किए गए किसी व्यक्ति को परिरोध में रखने के लिए ऐसे लोक सेवक के नाते वैध रूप से आवद्ध हो. ऐसे व्यक्ति का परिरोध में से निकल भागना उपेक्षा से सहन करता है, वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
अपराध का वर्गीकरण
सजा:- 2 वर्ष के लिए सादा कारावास, या जुर्माना, या दोनों
अपराध:- असंज्ञेय
जमानत:- जमानतीय
विचारणीय:- कोई मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नहीं किया जा सकता हैं।
(IPC) की धारा 223 को (BNS) की धारा 261 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते है |

