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धारा - 59 (किसी ऐसे अपराध के किए जाने की परिकल्पना का लोक सेवक द्वारा छिपाया जाना, जिसका निवारण करना उसका कर्त्तव्य है)

धारा - 59 (किसी ऐसे अपराध के किए जाने की परिकल्पना का लोक सेवक द्वारा छिपाया जाना, जिसका निवारण करना उसका कर्त्तव्य है)
काल्पनिक चित्र 

भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा - 59 

(किसी ऐसे अपराध के किए जाने की परिकल्पना का लोक सेवक द्वारा छिपाया जाना, जिसका निवारण करना उसका कर्त्तव्य है)

 जो कोई लोक सेवक होते हुए उस अपराध का किया जाना, जिसका निवारण करना ऐसे लोक सेवक के नाते उसका कर्त्तव्य है, सुकर बनाने के आशय से या सम्भाव्यतः तद्वारा सुकर बनाएगा यह जानते हुए, ऐसे अपराध के किए जाने की परिकल्पना के अस्तित्व को किसी कार्य या लोप द्वारा या विगूढ़न या कोई अन्य सूचना प्रच्छन्न साधन के उपयोग द्वारा स्वेच्छया छिपाएगा या ऐसी परिकल्पना के बारे में ऐसा व्यपदेशन करेगा जिसका मिथ्या होना वह जानता है, 

 (क) यदि ऐसा अपराध कर दिया जाए, तो वह उस अपराध के लिए उपबन्धित किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि ऐसे कारावास की दीर्घतम अवधि के आधी तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो उस अपराध के लिए उपबन्धित है, या दोनों से, या

(ख) यदि वह अपराध मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, या

(ग) या यदि वह अपराध नहीं किया जाए, तो वह उस अपराध के लिए उपबन्धित किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि ऐसे कारावास की दीर्घतम अवधि की एक चौथाई तक की हो सकेगी या ऐसे जुर्माने से, जो उस अपराध के लिए उपबन्धित है, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।



उदाहरण- राम, एक पुलिस अधिकारी, लूट किए जाने से सम्बन्धित सब परिकल्पनाओं की, जो उसको ज्ञात हो जाए, सूचना देने के लिए वैध रूप से आबद्ध होते हुए और यह जानते हुए कि श्याम लूट करने की परिकल्पना बना रहा है, उस अपराध के किए जाने को सुकर बनाने के आशय से ऐसी इत्तिला देने का लोप करता है। यहां राम ने श्याम की परिकल्पना के अस्तित्व को एक अवैध लोप द्वारा छिपाया है, और वह इस धारा के उपबन्ध के अनुसार दण्डनीय है।



अपराध का वर्गीकरण

खंड (क): सजा : उस दीर्घतम अवधि के आधे भाग तक का कारावास, जो उस अपराध के लिए उपबन्धित है, या जुर्माना

संज्ञान: संज्ञेय है या असंज्ञेय उस न्यायालय द्वारा द्वारा विचारणीय है 

जमानत: जमानतीय है या अजमानतीय उस न्यायालय द्वारा द्वारा विचारणीय है 

विचारणीय: उस न्यायालय द्वारा  विचारणीय है जिसके द्वारा दुष्प्रेरित अपराध विचारणीय है - 

अशमनीय: समझौता करने योग्य नहीं



 खंड (ख): सजा : 10 वर्ष के लिए कारावास 

संज्ञान: संज्ञेय है या असंज्ञेय उस न्यायालय द्वारा द्वारा विचारणीय है 

जमानत: जमानतीय है या अजमानतीय उस न्यायालय द्वारा द्वारा विचारणीय है 

विचारणीय: उस न्यायालय द्वारा  विचारणीय है जिसके द्वारा दुष्प्रेरित अपराध विचारणीय है - 

अशमनीय: समझौता करने योग्य नहीं


खंड (ग): सजा : उस दीर्घतम अवधि के एक चौथाई भाग तक का कारावास, जो उस अपराध के लिए उपबन्धित है, या जुर्माना

संज्ञान: संज्ञेय है या असंज्ञेय उस न्यायालय द्वारा द्वारा विचारणीय है 

जमानत: जमानतीय है या अजमानतीय उस न्यायालय द्वारा द्वारा विचारणीय है 

विचारणीय: उस न्यायालय द्वारा  विचारणीय है जिसके द्वारा दुष्प्रेरित अपराध विचारणीय है - 

अशमनीय: समझौता करने योग्य नहीं


(IPC) की धारा 119 को (BNS) की धारा 59 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते हैं।
(IPC) की धारा 119 को (BNS) की धारा 59 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते हैं।







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