भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा- 77
(दृश्यरतिकता)
ऐसा कोई पुरुष, जो कोई किसी प्राइवेट कृत्य में लगी किसी महिला को, जो उन परिस्थितियों में, जिनमें वह यह प्रत्याशा करती है कि उसे देखा नहीं जा रहा है, एकटक देखेगा या उस कृत्य में लिप्त व्यक्ति या उस कृत्य में लिप्त व्यक्ति के कहने पर कोई अन्य व्यक्ति उसका चित्र खींचेगा या उस चित्र को प्रसारित करेगा, प्रथम दोषसिद्धि पर दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा और द्वितीय अथवा पश्चात्वर्ती किसी दोपसिद्धि पर दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा।
व्याख्या 1:- इस धारा के प्रयोजनों के लिए, "प्राइवेट कृत्य" के अन्तर्गत ताकने का ऐसा कोई कृत्य आता है जो ऐसे किसी स्थान में किया जाता है, जिसके संबंध में, परिस्थितियों के अधीन, युक्तियुक्त रूप से यह प्रत्याशा की जाती है कि वहां एकांतता होगी और जहां कि पीड़िता के जननांगों, नितंबों या वक्षस्थलों को अभिदर्शित किया जाता है या केवल अधोवस्त्र से ढंका जाता है अथवा जहां पीड़िता किसी शौचघर का प्रयोग कर रही है; या जहां पीड़िता ऐसा कोई लैंगिक कृत्य कर रही है जो ऐसे प्रकार का नहीं है जो साधारणतया सार्वजनिक तौर पर किया जाता है।
व्याख्या 2:- जहां पीड़िता चित्रों या किसी अभिनय के चित्र को खींचने के लिए सम्मति देती है किन्तु अन्य व्यक्तियों को उन्हें प्रसारित करने की सम्मति नहीं देती है और जहां उस चित्र या कृत्य का प्रसारण किया जाता है वहां ऐसे प्रसारण को इस धारा के अधीन अपराध माना जाएगा।
अपराध का वर्गीकरण
उपधारा (1):- सजा:- कम से कम 1 वर्ष के लिए कारावास, किंतु जो 3 वर्ष तक का हो सकेगा और जुर्माना
संज्ञान:- संज्ञेय
जमानत:- जमानतीय
विचारणीय:- सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- समझौता करने योग्य नहीं
उपधारा (2):- सजा:- कम से कम 3 वर्ष के लिए कारावास, किंतु जो 7 वर्ष तक का हो सकेगा और जुर्माना
संज्ञान:- संज्ञेय
जमानत:- अजमानतीय
विचारणीय:- सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- समझौता करने योग्य नहीं
(IPC) की धारा 354C को (BNS) की धारा 77 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते हैं। |