भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा- 82
(पति या पत्नी के जीवनकाल में पुनः विवाह करना)
(1) जो कोई पति या पत्नी के जीवित होते हुए, किसी ऐसी दशा में विवाह करेगा जिसमें ऐसा विवाह इस कारण शून्य है कि वह ऐसे पति या पत्नी के जीवनकाल में होता है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा।
अपवाद :- इस धारा का विस्तार किसी ऐसे व्यक्ति पर नहीं है, जिसका ऐसे पति या पत्नी के साथ विवाह सक्षम अधिकारिता के न्यायालय द्वारा शून्य घोषित कर दिया गया हो और न किसी ऐसे व्यक्ति पर है, जो पूर्व पति या पत्नी के जीवनकाल में विवाह कर लेता है, यदि ऐसा पति या पत्नी उस पश्चात्वर्ती विवाह के समय ऐसे व्यक्ति से सात वर्ष तक निरन्तर अनुपस्थित रहा हो, और उस काल के भीतर ऐसे व्यक्ति ने यह नहीं सुना हो कि वह जीवित है, परन्तु यह तब जब कि ऐसा पश्चात्वर्ती विवाह करने वाला व्यक्ति उस विवाह के होने से पूर्व उस व्यक्ति को, जिसके साथ ऐसा विवाह होता है, तथ्यों की वास्तविक स्थिति की जानकारी, जहां तक कि उनका ज्ञान उसको हो, दे दे।
(2) जो कोई उपधारा (1) के अधीन अपराध अपने पूर्व विवाह की बात उस व्यक्ति से छिपाकर करेगा, जिससे पश्चात्वर्ती विवाह किया जाए, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा।
अपराध का वर्गीकरण
उपधारा (1):- सजा:- 7 वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना
संज्ञान:- असंज्ञेय
जमानत:- जमानतीय
विचारणीय:- प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय
शमनीय:- समझौता करने योग्य
उपधारा (2):- सजा:- 10 वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना
संज्ञान:- असंज्ञेय
जमानत:- जमानतीय
विचारणीय:- प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- समझौता करने योग्य नहीं
(IPC) की धारा 494 व 495 को (BNS) की धारा 82 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते हैं। |