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धारा:- 118 (खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छया उपहति या घोर उपहति कारित करना)

धारा:- 118 (खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छया उपहति या घोर उपहति कारित करना)
काल्पनिक चित्र

भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा:- 118


(खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छया उपहति या घोर उपहति कारित करना) - 

 (1) जो कोई, धारा 122 की उपधारा (1) में उपबंधित दशा के सिवाय, असन, वेधन या काटने के किसी उपकरण द्वारा या किसी ऐसे उपकरण द्वारा जो यदि आक्रामक आयुध के तौर पर उपयोग में लाया जाए, तो उससे मृत्यु कारित होना सम्भाव्य है, या अग्नि या किसी तप्त पदार्थ द्वारा, या किसी विष या किसी संक्षारक पदार्थ द्वारा या किसी विस्फोटक पदार्थ द्वारा या किसी ऐसे पदार्थ द्वारा, जिसका श्वास में जाना या निगलना या रक्त में पहुंचना मानव शरीर के लिए हानिकारक है, या किसी जीवजन्तु द्वारा स्वेच्छया उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से जो बीस हजार रुपए तक हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।

(2) जो कोई धारा 122 की उपधारा (2) में उपबन्धित दशा के सिवाय, उपधारा (1) में निर्दिष्ट किसी साधन से स्वेच्छया घोर उपहति कारित करता है, आजीवन कारावास या दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डनीय होगा, जिसकी अवधि एक वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु दस वर्ष तक हो सकेगी और जुर्माने के लिए भी दायी होगा।


अपराध का वर्गीकरण

उपधारा (1):-  सजा:- 3 वर्ष के लिए कारावास या 20 हजार रुपए का जुर्माना या दोनों

अपराध:- संज्ञेय 

जमानत:- अजमानतीय

विचारणीय:- प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय

अशमनीय:- समझौता करने योग्य नहीं


उपधारा (2):-  सजा:- आजीवन कारावास या कारावास, जो 1 वर्ष से कम नहीं होगा, किंतु जो 10 वर्ष तक को सकेगा और जुर्माना

अपराध:- संज्ञेय 

जमानत:- अजमानतीय

विचारणीय:- सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय 

अशमनीय:- समझौता करने योग्य नहीं







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