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धारा- 117 (स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना)

धारा- 117 (स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना)
काल्पनिक चित्र

भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा- 117

 (स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना)

(1) जो कोई स्वेच्छया उपहति कारित करता है, यदि वह उपहति, जिसे कारित करने का उसका आशय है या जिसे वह जानता है कि उसके द्वारा उसका किया जाना सम्भाव्य है घोर उपहति है, और यदि वह उपहति, जो वह कारित करता है, घोर उपहति हो, तो वह "स्वेच्छ्या घोर उपहति करता है", यह कहा जाता है।

व्याख्या:- कोई व्यक्ति स्वेच्छया घोर उपहति कारित करता है, यह नहीं कहा जाता है सिवाय जब कि वह घोर उपहति कारित करता है और घोर उपहति कारित करने का उसका आशय हो या घोर उपहति कारित होना वह सम्भाव्य जानता हो, किन्तु यदि वह यह आशय रखते हुए या यह सम्भाव्य जानते हुए कि वह किसी एक किस्म की घोर उपहति कारित कर दे, वास्तव में दूसरी ही किस्म की घोर उपहति कारित करता है, तो वह स्वेच्छया घोर उपहति कारित करता है, यह कहा जाता है।

उदाहरण:- राम, यह आशय रखते हुए या यह सम्भाव्य जानते हुए कि वह श्याम के चेहरे को स्थायी रूप से विदूषित कर देगा, श्याम के चेहरे पर प्रहार करता है जिससे श्याम का चेहरा स्थायी रूप से विद्रूपित तो नहीं होता, किन्तु श्याम को पन्द्रह दिन तक तीव्र शारीरिक पीड़ा कारित होती है। राम ने स्वेच्छया घोर उपहति कारित की है।

(2) जो कोई, धारा 122 की उपधारा (2) में उपबन्धित मामले के सिवाय, स्वेच्छया घोर उपहति कारित करता है, दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जो सात वर्ष तक हो सकेगा, दंडनीय होगा, और जुर्माने का भी दायी होगा।

(3) जो कोई उपधारा (1) के अधीन अपराध कारित करता है और ऐसे कारित करने के क्रम में किसी व्यक्ति को उपहति कारित करता है, जो उस व्यक्ति को स्थायी दिव्यांगता कारित करता है या लगातार विकृतशील दशा में डाल देता है वह ऐसी अवधि के कठिन कारावास से दण्डनीय होगा जो दस वर्ष से कम नहीं होगा किन्तु आजीवन कारावास तक हो सकेगा,जिससे उस व्यक्ति के प्राकृत जीवन की शेष अवधि का कारावास अभिप्रेत है।

(4) जहां पांच या अधिक व्यक्तियों के समूह द्वारा सामान्य मति से कार्य करते हुए, किसी व्यक्ति को उसके मूलवंश, जाति या समुदाय, लिंग, जन्मस्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य समरूप आधार पर, घोर उपहति कारित की जाती है, वहां ऐसे समूह का प्रत्येक सदस्य घोर उपहति कारित करने के अपराध का दोषी होगा और दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डनीय होगा, जिसकी अवधि सात वर्ष तक हो सकेगी और जुर्माने के लिए भी दायी होगा।


अपराध का वर्गीकरण

उपधारा (2):-  सजा:- 7 वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना 

अपराध:- संज्ञेय 

जमानत:- जमानतीय

विचारणीय:- कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय

शमनीय:- समझौता करने योग्य 



उपधारा (3):-  सजा:- कठोर कारावास, जो, 10 वर्ष से कम नहीं होगा, किन्तु आजीवन कारावास तक हो सकेगा, जिसका अर्थ उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल से होगा

अपराध:- संज्ञेय 

जमानत:- अजमानतीय

विचारणीय:- सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय 

अशमनीय:- समझौता करने योग्य नहीं



उपधारा (4):-  सजा:- 7 वर्ष के लिए कारावास ओर जुर्माना

अपराध:- संज्ञेय 

जमानत:- अजमानतीय

विचारणीय:- सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय 

अशमनीय:- समझौता करने योग्य नहीं









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