भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा- 109
(हत्या करने का प्रयत्न)
(1) जो कोई किसी कार्य को ऐसे आशय या ज्ञान से और ऐसी परिस्थितियों में करता है कि यदि वह उस कृत्य द्वारा मृत्यु कारित कर देता तो वह हत्या का दोषी होता, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा, और जुर्माने के लिए भी दायी होगा, और यदि ऐसे कार्य द्वारा किसी व्यक्ति को उपहति कारित हो जाए, तो वह अपराधी या तो आजीवन कारावास से या ऐसे दण्ड से दण्डनीय होगा, जैसा एतस्मिनपूर्व वर्णित है।
(2) जब उपधारा (1) के अधीन अपराध करने वाला कोई व्यक्ति आजीवन कारावास के दण्डादेश के अधीन हो, तब यदि उपहति कारित हुई हो, तो वह मृत्यु या आजीवन कारावास, जो व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए होगा, से दण्डित किया जाएगा।'
उदाहरण:- (क) सुरेश का वध करने के आशय से दिनेश उस पर ऐसी परिस्थितियों में गोली चलाता है कि यदि मृत्यु हो जाती, तो दिनेश हत्या का दोषी होता। दिनेश इस धारा के अधीन दण्डनीय है।
(ख) रहीम सुकुमार अवस्था के बालक की मृत्यु करने के आशय से उसे एक निर्जन स्थान में अरक्षित छोड़ देता है। रहीम ने उस धारा द्वारा परिभाषित अपराध किया है, यद्यपि परिणामस्वरूप उस बालक की मृत्यु नहीं होती
(ग) श्याम की हत्या का आशय रखते हुए मोहन एक बन्दूक खरीदता है और उसको भरता है। मोहन ने अभी तक अपराध नहीं किया है। श्याम पर मोहन बन्दूक चलाता है। उसने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है, यदि इस प्रकार गोली मार कर वह श्याम को घायल कर देता है, तो वह उपधारा (1) के पश्चात्वर्ती भाग द्वारा उपबन्धित दण्ड से दण्डनीय है।
(घ) विष द्वारा सोहन की हत्या करने का आशय रखते हुए राम विष खरीदता है, और उसे उस भोजन में मिला देता है, जो राम के अपने पास रहता है राम ने इस धारा में परिभाषित अपराध अभी तक नहीं किया है। राम उस भोजन को सोहन की मेज पर रखता है, या उसको सोहन की मेज पर रखने के लिए सोहन के सेवकों को परिदत्त करता है। राम ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है।
अपराध का वर्गीकरण
उपधारा (1) भाग 1:- सजा:- 10 वर्ष के लिए करावास और जुर्माना
अपराध:- संज्ञेय
जमानत:- अजमानतीय
विचारणीय:- सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- समझौता करने योग्य नहीं
उपधारा (1) भाग 2:- सजा:- आजीवन कारावास या यथाउपरोक्त
अपराध:- संज्ञेय
जमानत:- अजमानतीय
विचारणीय:- सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- समझौता करने योग्य नहीं
उपधारा (2):- सजा:- मृत्यु या आजीवन कारावास, जिसका अर्थ उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए होगा
अपराध:- संज्ञेय
जमानत:- अजमानतीय
विचारणीय:- सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- समझौता करने योग्य नहीं
(IPC) की धारा 307 को (BNS) की धारा 109 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते हैं। |