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धारा- 100 (आपराधिक मानव वध)

धारा- 100 (आपराधिक मानव वध)
काल्पनिक चित्र

भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा- 100

(आपराधिक मानव वध)

 जो कोई मृत्यु कारित करने के आशय से, या ऐसी शारीरिक क्षति कारित करने के आशय से, जिससे मृत्यु कारित हो जाना सम्भाव्य हो, या यह ज्ञान रखते हुए कि यह सम्भाव्य है कि वह उस कार्य से मृत्यु कारित कर दे, कोई कार्य करके, मृत्यु कारित कर देता है, वह आपराधिक मानव वध का अपराध करता है।

उदाहरण:- (क) मोहन एक गड्‌ढे पर लकड़ियां और घास इस आशय से बिछाता है कि त‌द्वारा मृत्यु कारित करे या यह ज्ञान रखते हुए बिछाता है कि सम्भाव्य है कि तद्वारा मृत्यु कारित हो। राजेश यह विश्वास करते हुए कि वह भूमि सुदृढ़ है उस पर चलता है, उसमें गिर पड़ता है और मारा जाता है। मोहन ने आपराधिक मानव वध का अपराध किया है।

(ख) दिनेश यह जानता है कि राकेश एक झाड़ी के पीछे है। महेश यह नहीं जानता। राकेश की मृत्यु करने के आशय से या यह जानते हुए कि उससे राकेश की मृत्यु कारित होना सम्भाव्य है, महेश को उस झाड़ी पर गोली चलाने के लिए दिनेश उत्प्रेरित करता है। महेश गोली चलाता है और राकेश को मार डालता है। यहां यह हो सकता है कि महेश किसी भी अपराध का दोषी न हो, किन्तु दिनेश ने आपराधिक मानव वध का अपराध किया है।

(ग) राम एक मुर्गे को मार डालने और उसे चुरा लेने के आशय से उस पर गोली चलाकर राजू को, जो एक झाड़ी के पीछे है, मार डालता है, किन्तु राम यह नहीं जानता था कि राजू वहां है। यहां, यद्यपि राम विधिविरुद्ध कार्य कर रहा था, तथापि वह आपराधिक मानव वध का दोषी नहीं है क्योंकि उसका आशय राजू को मार डालने का, या कोई ऐसा कार्य करके, जिससे मृत्यु कारित करना वह सम्भाव्य जानता हो, मृत्यु कारित करने का नहीं था। 

व्याख्या:-1- वह व्यक्ति, जो किसी दूसरे व्यक्ति को, जो किसी विकार रोग या अंगशैथिल्य से ग्रस्त है, शारीरिक क्षति कारित करता है और तद्वारा उस दूसरे व्यक्ति की मृत्यु त्वरित कर देता है, उसकी मृत्यु कारित करता है, यह समझा जाएगा।


व्याख्या:-2 - जहां कि शारीरिक क्षति से मृत्यु कारित की गई हो, वहां जिस व्यक्ति ने, ऐसी शारीरिक क्षति कारित की हो, उसने वह मृत्यु कारित की है, यह समझा जाएगा, यद्यपि उचित उपचार और कौशलपूर्ण चिकित्सा करने से वह मृत्यु रोकी जा सकती थी।

व्याख्या:-3 - मां के गर्भ में स्थित किसी बालक की मृत्यु कारित करना मानव वध नहीं है। किन्तु किसी जीवित बालक की मृत्यु कारित करना आपराधिक मानव वध की कोटि में आ सकेगा, यदि उस बालक का कोई भाग बाहर निकल आया हो, यद्यपि उस बालक ने श्वास नहीं ली हो या उसने पूर्णतः जन्म नहीं लिया हो।










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