भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा:- 208
(लोक सेवक का आदेश न मानकर गैर-हाजिर रहना)
जो कोई किसी लोक सेवक द्वारा निकाले गए उस समन, सूचना, आदेश या उदघोषणा के पालन में, जिसे ऐसे लोक सेवक के नाते निकालने के लिए वह वैध रूप से सक्षम हो, किसी निश्चित स्थान और समय पर स्वयं या अभिकर्ता द्वारा हाजिर होने के लिए वैध रूप से आबद्ध होते हुए, उस स्थान या समय पर हाजिर होने का जानबूझकर लोप करता है, या उस स्थान से, जहां हाजिर होने के लिए वह आबद्ध है, उस समय से पूर्व चला जाता है, जिस समय चला जाना उसके लिए विधिपूर्ण होता, -
(क) वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दंडित किया जाएगा;
(ख) समन, सूचना, आदेश या उद्घोषणा किसी न्यायालय में स्वयं या किसी अभिकर्ता द्वारा हाजिर होने के लिए है, तो वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दस हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
उदाहरण:- (क) राजेश, उच्च न्यायालय द्वारा निकाले गए सपीना के पालन में उस न्यायालय के समक्ष उपसंजात होने के लिए वैध रूप से आबद्ध होते हुए, उपसंजात होने में जानबूझकर लोप करता है। राजेश ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है।
(ख) महेश, जिला न्यायाधीश द्वारा निकाले गए समन के पालन में उस जिला न्यायाधीश के समक्ष साक्षी के रूप में उपसंजात होने के लिए वैध रूप से आबद्ध होते हुए, उपसंजात होने में जानबूझकर लोप करता है। महेश ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है।
अपराध का वर्गीकरण
खंड (क):- सजा:- 1 मास के लिए सादा कारावास, या 5,000 रुपए का जुर्माना या दोनों
अपराध:- असंज्ञेय
जमानत:- जमानतीय
विचारणीय:- कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नही किया जा सकता हैं।
खंड (ख):- सजा:- 6 मास के लिए सादा कारावास, या 10,000 रुपए का जुर्माना, या दोनों
अपराध:- असंज्ञेय
जमानत:- जमानतीय
विचारणीय:- कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नही किया जा सकता हैं।
(IPC) की धारा 174 को (BNS) की धारा 208 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते है |