भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा:- 207
(समन की तामील का या अन्य कार्यवाही का या उसके प्रकाशन का निवारण करना)
जो कोई किसी लोक सेवक द्वारा, जो लोक सेवक के नाते कोई समन, सूचना या आदेश निकालने के लिए वैध रूप से सक्षम हो, निकाले गए समन, सूचना या आदेश की तामील, अपने पर या किसी अन्य व्यक्ति पर होना किसी प्रकार जानबूझकर निवारित करेगा, या किसी ऐसे समन, सूचना या आदेश का किसी ऐसे स्थान में विधिपूर्वक लगाया जाना जानबूझकर निवारित करेगा, या किसी ऐसे समन, सूचना या आदेश को किसी ऐसे स्थान से, जहां कि विधिपूर्वक लगाया हुआ है, जानबूझकर हटाएगा, किसी ऐसे लोक सेवक के प्राधिकाराधीन की जाने वाली किसी उद्घोषणा का विधिपूर्वक किया जाना जानबूझकर निवारित करेगा, जो ऐसे लोक सेवक के नाते ऐसी उद्घोषणा का किया जाना निर्दिष्ट करने के लिए वैध रूप से सक्षम हो, -
(क) वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा या दोनों से, दंडित किया जाएगा;
(ख) समन, सूचना, आदेश या उद्घोषणा किसी न्यायालय में स्वयं या अभिकर्ता द्वारा हाजिर होने के लिए या दस्तावेज या इलैक्ट्रॉनिक अभिलेख पेश करने के लिए हो, तो वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दस हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
अपराध का वर्गीकरण
खंड (क):- सजा:- 1 मास के लिए सादा कारावास, या 5,000 रुपए का जुर्माना, या दोनों
अपराध:- असंज्ञेय
जमानत:- जमानतीय
विचारणीय:- कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नही किया जा सकता हैं।
खंड (ख):- सजा:- -6 मास के लिए सादा कारावास, या 10,000 रुपये का जुर्माना, या दोनों
अपराध:- असंज्ञेय
जमानत:- जमानतीय
विचारणीय:- कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नही किया जा सकता हैं।
(IPC) की धारा 173 को (BNS) की धारा 207 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते है |