भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा:- 215
(कथन पर हस्ताक्षर करने से इन्कार)
जो कोई अपने द्वारा किए गए किसी कथन पर हस्ताक्षर करने को ऐसे लोक सेवक द्वारा अपेक्षा किए जाने पर, जो उससे यह अपेक्षा करने के लिए विधिक रूप से सक्षम हो कि वह उस कथन पर हस्ताक्षर करे, उस कथन पर हस्ताक्षर करने से इन्कार करता है, वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो तीन हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
अपराध का वर्गीकरण
सजा:- 3 मास के लिए साद कारावास, या 3,000 रुपए का जुर्माना, या दोनों
अपराध:- असंज्ञेय
जमानत:- जमानतीय
विचारणीय:- अध्याय 28 के उपबंधों के अधीन रहते हुए उस न्यायालय द्वारा विचारणीय, जिसमें अपराध किया गया है; या यदि अपराध न्यायालय में नहीं किया गया है तो कोई भी मजिस्ट्रेट
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नही किया जा सकता हैं।
(IPC) की धारा 180 को (BNS) की धारा 215 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते है |