भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा:- 232
किसी व्यक्ति को मिथ्या साक्ष्य देने के लिए धमकाना
(1) जो कोई किसी दूसरे व्यक्ति को, उसके शरीर, ख्याति या सम्पत्ति को या ऐसे व्यक्ति के शरीर या ख्याति को, जिसमें वह व्यक्ति हितबद्ध है, यह कारित करने के आशय से कोई क्षति करने की धमकी देता है, कि वह व्यक्ति मिथ्या साक्ष्य दे तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जाएगा;
(2) यदि कोई निर्दोष व्यक्ति उपधारा (1) में निदिष्ट मिथ्या साक्ष्य के परिणामस्वरूप मृत्यु से या सात वर्ष से अधिक के कारावास से दोषसिद्ध और दण्डादिष्ट किया जाता है तो ऐसा व्यक्ति, जो धमकी देता है, उसी दण्ड से दण्डित किया जाएगा और उसी रीति में और उसी सीमा तक दण्डादिष्ट किया जाएगा, जैसे निर्दोष व्यक्ति दण्डित और दण्डादिष्ट किया गया है।
अपराध का वर्गीकरण
उपधारा (1):- सजा:- 7 वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना या दोनों
अपराध:- संज्ञेय
जमानत:- अजमानतीय
विचारणीय:- उस न्यायालय द्वारा विचारणीय, जिसके द्वारा मिथ्या साक्ष्य देने का अपराध विचारणीय है
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नहीं किया जा सकता.
उपधारा (2):- सजा:- वही, जो अपराध के लिए है
अपराध:- संज्ञेय
जमानत:- अजमानतीय
विचारणीय:- उस न्यायालय द्वारा विचारणीय, जिसके द्वारा मिथ्या साक्ष्य देने का अपराध विचारणीय है
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नहीं किया जा सकता.
(IPC) की धारा 195A को (BNS) की धारा 232 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते है |
अघ्याय 2 की सारी धाराएं विचारण के पहले की (इनके प्रारूप ऊपर हेड में दिए गए है)