भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा:- 245
(ऐसी राशि के लिए जो शोध्य नहीं हो, कपटपूर्वक डिक्री होने देना सहन करना)
जो कोई किसी व्यक्ति के बाद में ऐसी राशि के लिए, जो ऐसे व्यक्ति को शोध्य न हो या शोध्य राशि से अधिक हो, या किसी ऐसी संपत्ति या संपत्ति में के हित के लिए, जिसका ऐसा व्यक्ति हकदार न हो, अपने विरुद्ध कोई डिक्री या आदेश कपटपूर्वक पारित करवाएगा, या पारित किया जाना सहन करेगा या किसी डिक्री या आदेश को उसके तुष्ट कर दिए जाने के पश्चात् या किसी ऐसी बात के लिए, जिसके विषय में उस डिक्री या आदेश की तुष्टि कर दी गई हो, अपने विरुद्ध कपटपूर्वक निष्पादित करवाएगा या किया जाना सहन करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
उदाहरण:- राजेश के विरुद्ध एक वाद मोहन संस्थित करता है। राजेश यह सम्भाव्य जानते हुए कि मोहन उसके विरुद्ध डिक्री अभिप्राप्त कर लेगा, राम के वाद में, जिसका उसके विरुद्ध कोई न्यायसंगत दावा नहीं है, अधिक रकम के लिए अपने विरुद्ध निर्णय किया जाना इसलिए कपटपूर्वक सहन करता है कि राम स्वयं अपने लिए या राजेश के फायदे के लिए, राजेश की संपत्ति के किसी ऐसे विक्रय के आगमों का अंश ग्रहण करे, जो मोहन की डिक्री के अधीन किया जाए। राजेश ने इस धारा के अधीन अपराध किया है।
अपराध का वर्गीकरण
सजा:- 2 वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों
अपराध:- असंज्ञेय
जमानत:- जमानतीय
विचारणीय:- कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नहीं किया जा सकता हैं।
(IPC) की धारा 208 को (BNS) की धारा 245 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते है |

