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धारा:- 254 लुटेरों या डाकुओं को संश्रय देने के लिए शास्ति

धारा:- 254 लुटेरों या डाकुओं को संश्रय देने के लिए शास्ति
काल्पनिक चित्र



भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा:- 254

(लुटेरों या डाकुओं को संश्रय देने के लिए शास्ति)

जो कोई यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि कोई व्यक्ति लूट या डकैती हाल ही में करने वाले हैं या हाल ही में लूट या डकैती कर चुके हैं, उनको या उनमें से किसी को, ऐसी लूट या डकैती का किया जाना सुकर बनाने के, या उनको या उनमें से किसी को दण्ड से प्रतिच्छादित करने के आशय से संश्रय देगा, वह कठिन कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा।

व्याख्या:- इस धारा के प्रयोजनों के लिए यह तत्वहीन है कि लूट या डकैती भारत में करनी आशयित है या की जा चुकी है, या भारत से बाहर ।

अपवाद:- इस धारा के उपबन्धों का विस्तार ऐसे मामले पर नहीं है, जिसमें संश्रय देना, या छिपाना अपराधी के पति या पत्नी द्वारा हो।


अपराध का वर्गीकरण

 सजा:- 7 वर्ष के लिए कठोर कारावास, और जुर्माना

अपराध:- संज्ञेय

जमानत:- जमानतीय

विचारणीय:- प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय

अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नहीं किया जा सकता हैं।




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