भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा:- 255
(लोक सेवक द्वारा किसी व्यक्ति को दण्ड से या किसी संपत्ति के समपहरण से बचाने के आशय से विधि के निदेश की अवज्ञा)
जो कोई लोक सेवक होते हुए विधि के ऐसे किसी निदेश की, जो उस सम्बन्ध में हो कि उससे ऐसे लोक सेवक के नाते किस ढंग का आचरण करना चाहिए, जानते हुए अवज्ञा, किसी व्यक्ति को वैध दण्ड से बचाने के आशय से या सम्भाव्यतः तद्वारा बचाएगा, यह जानते हुए या उतने दण्ड की अपेक्षा, जिससे वह दण्डनीय है, तद्वारा कम दण्ड दिलवाएगा यह सम्भाव्य जानते हुए या किसी संपत्ति को ऐसे समपहरण या किसी भार से, जिसके लिए वह संपत्ति विधि के द्वारा दायित्व के अधीन है बचाने के आशय से या सम्भाव्यतः तद्वारा बचाएगा, यह जानते हुए करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
अपराध का वर्गीकरण
सजा:- 2 वर्ष के लिए कारावास या जुर्माना, या दोनों
अपराध:- असंज्ञेय
जमानत:- जमानतीय
विचारणीय:- कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नहीं किया जा सकता हैं।
(IPC) की धारा 217 को (BNS) की धारा 255 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते है |

