भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा:- 121
(लोक सेवक को अपने कर्त्तव्य से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छया उपहति या घोर उपहति कारित करना)
(1) जो कोई किसी ऐसे व्यक्ति को, जो लोक सेवक हो, उस समय जब वह वैसे लोक सेवक के नाते अपने कर्त्तव्य का निर्वहन कर रहा हो या इस आशय से कि उस व्यक्ति को या किसी अन्य लोक सेवक को, वैसे लोक सेवक के नाते उसके अपने कर्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन से निवारित या भयोपरत करे अथवा वैसे लोक सेवक के नाते उस व्यक्ति द्वारा अपने कर्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन में की गई या किए जाने के लिए प्रयतित किसी बात के परिणामस्वरूप स्वेच्छया उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
(2) जो कोई किसी ऐसे व्यक्ति को, जो लोक सेवक हो, उस समय जब वह वैसे लोक सेवक के नाते अपने कर्त्तव्य का निर्वहन कर रहा हो या इस आशय से कि उस व्यक्ति को, या किसी अन्य लोक सेवक को वैसे लोक सेवक के नाते उसके अपने कर्त्तव्य के निर्वहन से निवारित करे या भयोपरत करे, या वैसे लोक सेवक के नाते उस व्यक्ति द्वारा अपने कर्त्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन में की गई या किए जाने के लिए प्रयतित किसी बात के परिणामस्वरूप स्वेच्छया घोर उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि जो एक वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो दस वर्ष तक की हो सकेगी. दण्डित किया जाएगा, और जुर्माने के लिए भी दायी होगा।
अपराध का वर्गीकरण
उपधारा (1):- सजा:- 5 वर्ष के लिए कारावास या जुर्माना या दोनों
अपराध:- संज्ञेय
जमानत:- अजमानतीय
विचारणीय:- प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय
शमनीय:- समझौता करने योग्य हैं
उपधारा (2):- सजा:- कम से कम । वर्ष के कारावास या 10 वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना
अपराध:- संज्ञेय
जमानत:- अजमानतीय
विचारणीय:- सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय
शमनीय:- समझौता करने योग्य है