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धारा:- 210 दस्तावेज या इलैक्ट्रॉनिक अभिलेख पेश करने के लिए विधिक रूप से आबद्ध व्यक्ति का लोक सेवक को पेश करने का लोप

(IPC) की धारा 175 को (BNS) की धारा 210 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते है
काल्पनिक चित्र 


भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा:- 210

(दस्तावेज या इलैक्ट्रॉनिक अभिलेख पेश करने के लिए विधिक रूप से आबद्ध व्यक्ति का लोक सेवक को पेश करने का लोप)

जो कोई किसी लोक सेवक को, ऐसे लोक सेवक के नाते किसी दस्तावेज या इलैक्ट्रॉनिक अभिलेख को पेश करने या परिदत्त करने के लिए विधिक रूप से आबद्ध होते हुए, उसको इस प्रकार पेश करने या परिदत्त करने का जानबूझकर लोप करेगा, -

(क) वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा;

(ख) और जहां वह दस्तावेज या इलैक्ट्रॉनिक अभिलेख किसी न्यायालय में पेश या परिदत्त किया जाना हो, तो वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दस हजार रुपए तक हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।

उदाहरण:- रमेश, जो एक जिला न्यायालय के समक्ष दस्तावेज पेश करने के लिए विधिक रूप से आबद्ध है, उसको पेश करने का जानबूझकर लोप करता है। रमेश ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है।


अपराध का वर्गीकरण


खंड (क):- सजा:- 1 मास के लिए सादा कारावास या 5,000 रुपए का जुर्माना, या दोनों

अपराध:- असंज्ञेय

जमानत:- जमानतीय

विचारणीय:- अध्याय 28 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, उस न्यायालय द्वारा विचारणीय, जिसमें अपराध किया गया है; या यदि अपराध न्यायालय में नहीं किया गया है तो कोई भी मजिस्ट्रेट

अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नही किया जा सकता हैं।


खंड (ख) :- सजा:-6 मास के लिए सादा कारावास, या 10,000 रुपये का जुर्माना, या दोनों

अपराध:- असंज्ञेय

जमानत:- जमानतीय

विचारणीय:- अध्याय 28 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, उस न्यायालय द्वारा विचारणीय, जिसमें अपराध किया गया है; या यदि अपराध न्यायालय में नही किया गया है तो कोई भी मजिस्ट्रेट

अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नही किया जा सकता हैं।






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