भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा:- 264
(उन दशाओं में, जिनके लिए अन्यथा उपबन्ध नहीं है, लोक सेवक द्वारा पकड़ने का लोप या निकल भागना सहन करना)
जो कोई ऐसा लोक सेवक होते हुए जो किसी व्यक्ति को पकड़ने या परिरोध में रखने के लिए लोक सेवक के नाते वैध रूप से आबद्ध हो उस व्यक्ति को किसी ऐसी दशा में, जिसके लिए धारा 259, धारा 260 या धारा 261 या किसी अन्य तत्समय प्रवृत्त विधि में कोई उपबन्ध नहीं है, पकड़ने का लोप करेगा या परिरोध में से निकल भागना सहन करेगा-
(क) यदि वह ऐसा जानबूझकर करता है, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से; और
(ख) यदि वह ऐसा उपेक्षापूर्वक करता तो वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
अपराध का वर्गीकरण
खंड (क):- सजा:- 3 वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों
अपराध:- असंज्ञेय
जमानत:- जमानतीय
विचारणीय:- प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नहीं किया जा सकता हैं।
खंड (ख):- सजा:- 2 वर्ष के लिए सादा कारावास, या जुर्माना, यो दोनों
अपराध:- असंज्ञेय
जमानत:- जमानतीय
विचारणीय:- कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नहीं किया जा सकता हैं।
(IPC) की धारा 225A को (BNS) की धारा 264 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते है |

