भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा- 72
(कतिपय अपराधों आदि से पीड़ित व्यक्ति की पहचान का प्रकटीकरण)
(1) जो कोई किसी नाम या अन्य बात को. जिससे किसी ऐसे व्यक्ति की (जिसे इस धारा में इसके पश्चात् पीड़ित व्यक्ति कहा गया है) पहचान हो सकती है. जिसके विरुद्ध धारा 64 या धारा 65 या धारा 66 या धारा 67 या धारा 68 या धारा 69 या धारा 70 या धारा 71 के अधीन किसी अपराध का किया जाना अभिकथित है या किया गया पाया गया है. मुद्रित या प्रकाशित करेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से. जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी. दण्डित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा।
(2) उपधारा (1) की किसी भी बात का विस्तार किसी नाम या अन्य बात के मुद्रण या प्रकाशन पर, यदि उससे पीड़ित व्यक्ति की पहचान हो सकती है, तब नहीं होता है जब ऐसा मुद्रण या प्रकाशन-
(क) पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी के या ऐसे अपराध का अन्वेषण करने वाले पुलिस अधिकारी के, जो ऐसे अन्वेषण के प्रयोजन के लिए सद्भावपूर्वक कार्य करता है, द्वारा या उसके लिखित आदेश के अधीन किया जाता है: या
(ख) पीड़ित व्यक्ति द्वारा या उसके लिखित प्राधिकार से किया जाता है। या
(ग ) जहां पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु हो चुकी है या वह बालक या विकृत चित्त है वहां, पीड़ित व्यक्ति के निकट सम्बन्धी द्वारा या उसके लिखित प्राधिकार से, किया जाता है:
परन्तु निकट सम्बन्धी द्वारा कोई भी ऐसा प्राधिकार किसी मान्यताप्राप्त कल्याण संस्था या संगठन के अध्यक्ष या सचिव से, चाहे उसका जो भी नाम हो, भिन्न किसी अन्य व्यक्ति को नहीं दिया जाएगा।
व्याख्या- इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए" मान्यताप्राप्त कल्याण संस्था या संगठन" से केन्द्रीय या राज्य सरकार द्वारा इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए किसी मान्यताप्राप्त कोई समाज कल्याण संस्था या संगठन अभिप्रेत है।
अपराध का वर्गीकरण
सजा:- 2 वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना
संज्ञान:- संज्ञेय
जमानत:- जमानतीय
विचारणीय:- कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- समझौता करने योग्य नहीं
(IPC) की धारा 228A को (BNS) की धारा 72 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते हैं। |